लेखनी कहानी -13-May-2022#नान स्टाप चैलेंज # अपने अपने हिस्से का झरोखा
वंदना आज बहुत थक गयी थी ।घर मे पार्टी जो थी ।वैसे उसे तो कुछ नही करना था पर एक हाई प्रोफाइल पार्टी मे सुंदर सुंदर ड्रेस पहन के हाय हैलो करने मे ही व्यक्ति थकान महसूस करने लगता है । वंदना के पति शहर के जाने माने रईस थे ।इतना बड़ा बंगला ,चार चार गाड़ियां,घर मे एक से बढकर एक कीमती सामान पर रहने वाले कौन सिर्फ वंदना और उसके पति।बेटे दोनों विदेश मे रहकर पढ़ाई कर रहे थे।मन बहलाने के लिए दोनों पति पत्नी पार्टियां करते थे जब भी वंदना के पति शहर मे होते थे ।आज भी इसी तरह की पार्टी थी घर मे बहुत हाई प्रोफाइल मेहमान आये थे । मेजबान होने के नाते कुछ आवभगत करनी पड़ती है सोई वही करने मे वंदना को थकान महसूस हो रही थी पर मन में एक बात की खुशी थी चलो आज तो उसे रमिया जैसी बेधड़क नींद आये गी।वही रमिया जो उसके बैडरूम से लगने वाली खिड़की से देखने पर सड़क पार की झोपड़ी मे रहती थी। वंदना को कयी सालो से नींद ना आने की बीमारी थी ।अब ये पता नही बीमारी थी या अकेलापन खा रहा था उसे पति बच्चे अकसर बाहर रहते थे ।घर रहते तो पार्टियों के दौर चलते।इतनी भीड़ मे भी वंदना अकेली थी ।बस दोस्त था तो वो खिड़की का कोना जिससे वह रमिया और उसके परिवार को देखती थी।
आज भी उसने बिस्तर पर लेट कर सोने की कोशिश की पर नींद कहां थी उसकी आंखों मे दवाई ले ले तो बेहोशी की नीद मे पड़ी रहती थी लेकिन बिना दवाई के तो उल्लू की तरह जागना उसकी नियति बन गया था।आज भी जब नींद ना आई तो वह उठकर खिड़की की तरफ चल दी ।मौसम सुहाना था । रमिया और उसका पति बाहर चारपाई लगा कर सो रहे थे जिस प्रकार रमिया गहरी नींद सो रही थी वंदना को उससे ईर्ष्या होने लगी थी।उसे पता था रमिया के तीन बच्चे थे जो धूल मे अटे हुए उसी के आस पास खेलते रहते।दीनू रमिया का पति सुबह मजदूरी के लिए निकलता था ।जिस दिन मिल जाती उस दिन तो ठीक से गुजर जाता था पर जिस दिन दीनू जल्दी घर आ जाता तो रमिया समझ जाती कि आज काम ना मिला आज भुखे ही सोना पडे गा।वह भी दो घरों का काम कर के आती थी ।दो घरों का काम करके आती फिर अपने घर का करती तो रात को चारपाई पर ऐसे पड़ती थी जैसे कटा वृक्ष। वंदना को अपनी शुरू के गृहस्थी के दिन याद आते थे ।बाहर आने जाने के लिए एक ही साधन था एक मोटरसाइकिल। बच्चे भी घर के पास वाले स्कूल मे पढ़ते थे।पति ओर बच्चे उसके आगे पीछे मंडराते रहते थे।जब बस वंदना को यही दुःख सालता था कि उनके पास पैसे नही है।वो ओर लोगों की तरह कोठी बंगले मे नही रहते।एक दिन वंदना बाईक से घर आते समय बरसात मे भीग गयी।उसके पति ने जब ये देखा तो बोले ,"मेरी रानी आज तुम कितना भीग गयी हो । भगवान ने चाह तो गाड़ियों की लाइन लगा दूंगा तुम देखना।"
वंदना मुंह बिचका कर पति से बोली,"देखते है । अभी तक तो कुछ है नही हमारे अल्ले पल्ले।"
पति भी उसके टोंट पर मुस्कुरा देते। अचानक से व्यापार चल निकला पति करोड़ों मे खेलने लगे । बच्चे भी उड़ान भर गये और विदेशी पढ़ाई को चुना ।वंदना उस खिड़की से हमेशा अपनी और रमिया की तुलना करती कि वह कितनी सुखी है।
इधर रमिया गहरी नींद सो रही थी भूख पर थकान हावी थी । लेकिन रमिया का छोटा बेटा उठ कर रोने लगा ।बेचारा भूख बर्दाश्त नही कर सका और उठकर रोने लगा,"मां भूख लगी है कुछ है क्या खाने को ।"रमिया और बड़े बच्चे तो भूख बर्दाश्त कर गये पर छोटा रोने लगा ।अब कहां से लाये उसके लिए खाना।वो जानती थी सामने के बंगले मे आज बहुत हलचल थी शायद कोई पार्टी हुई थी बड़ी बड़ी गाड़ियों मे बैठ कर लोग आये थे।ये भारी भारी गाऊन, चमकदार कपड़े पहन कर । खुशबू भी बड़ी जोरदार आ रही थी खाने की शाम से ।पर उसका मन भीख मांगने के लिए गंवारा नही कर रहा था।वह बच्चों को दबोचकर बैठी रही कि बाबा आये गे मजूरी करके वो लेकर आयेगे खाना बाजार से पर दीनू जब खाली हाथ लौटा तो रमिया समझ गयी आज भुखो सोना पड़ेगा मन ही मन ईर्ष्या कर रही थी उस बंगले वाली मेमसाब से जो कभी कभी टकटकी लगाकर उसे और उसके परिवार को निहारती रहती थी उस झरोखे से ।कितना सुखी होगी वो मखमली बिस्तर, मखमली कपड़े, बढ़िया बढ़िया खाना । क्या कमी होगी इनको।ये तो हमारी जिंदगी है गधे की तरह सारा दिन काम करो फिर भी दो जून रोटी नही मिलती थी। बड़े ठाठ से रहती होगी वो मेमसाब।
तभी रमिया का बेटा फिर जोर से रोने लगा तो रमिया उठी और अंदर से एक प्लास्टिक की थैली उठाकर चल दी उस बंगले की ओर वहां दरवाजे के पास पड़ी जूठन समेटने के लिए ताकि बेटे की भूख शांत कर सके।
Reyaan
20-May-2022 02:43 PM
👏👌
Reply
Seema Priyadarshini sahay
19-May-2022 04:53 PM
बेहतरीन
Reply
Haaya meer
19-May-2022 12:39 PM
Amazing
Reply